रूहानी जज़्बातों से पगे रिश्तों को
शाख पे लगे पत्ते मत समझो
जो टूटेंगे, झरेंगे बिखर जाएंगे।
मोह में भीगे नेह के धागे मत समझो
जो उम्र के ढलते,सुख दुख मलते
सूखेंगे , मरेंगे फिर जल जाएंगे ।
तन बदलेंगे मन बदलेंगे
बदलेंगे जीवन के किरदार भले ही
अपने हिस्से की आहट देने ये रूहें
हर बार लौट के आएंगी ,
कुछ यादें कुछ एहसास और अपने
आने की निशानियां छोड़ जाएंगी।
कभी आंसू, कभी मुस्कान बनकर,
अबूझ पहेली सी दिल को सताएंगी।
©RJ SHALINI SINGH
#रूहानी