शुभ धनतेरस - कुण्डलिया - धनतेरस पर श्रीमती, चली | हिंदी कविता

"शुभ धनतेरस - कुण्डलिया - धनतेरस पर श्रीमती, चलीं गयीं बाजार। मुझको लेकर साथ में, घूमी घण्टे चार।। घूमी घण्टे चार, लिए कुछ जेवर बर्तन।  इससे उस दूकान, कराया मुझको नर्तन।। खत्म हुआ बैलेंस, और मैं भी था बेबस। मनी इस तरह आज, हमारी तो धनतेरस।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava"

 शुभ धनतेरस


- कुण्डलिया -

धनतेरस पर श्रीमती, चलीं गयीं बाजार।
मुझको लेकर साथ में, घूमी घण्टे चार।।
घूमी घण्टे चार, लिए कुछ जेवर बर्तन। 
इससे उस दूकान, कराया मुझको नर्तन।।
खत्म हुआ बैलेंस, और मैं भी था बेबस।
मनी इस तरह आज, हमारी तो धनतेरस।।

-हरिओमश्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

शुभ धनतेरस - कुण्डलिया - धनतेरस पर श्रीमती, चलीं गयीं बाजार। मुझको लेकर साथ में, घूमी घण्टे चार।। घूमी घण्टे चार, लिए कुछ जेवर बर्तन।  इससे उस दूकान, कराया मुझको नर्तन।। खत्म हुआ बैलेंस, और मैं भी था बेबस। मनी इस तरह आज, हमारी तो धनतेरस।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

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