#कैसे_आख़िर_कैसे #एक_विचार #hindi_poetry
#Nojotovoice
कैसे.....आखिर कैसे....यही वो सवाल इस ज़हन में हर ज़हन की तरह बस्ता है। कहानियाँ नहीं हैं या कोशिशों में कमी है। अधूरी आरज़ू है या अस्तित्व की खोज है....!!! अर्धनंग विचार को पेश करने में शर्म है या विषैली सोच का प्रचार करने का खौफ़....!!! आखिर कैसे मैं खुद को ये बात समझा दूँ.....कि आज जब सियाह रात में, तुम फिर अकेले होगे और दिल के उस कमरे में, दीवान आज भी तुम्हारी ही खुवाइशों का बिलग-२ के रो रहा होगा तो चौखट के उस पार तमाशा पूरे जहाँ के सामने मशहूर हो रहा होगा। और डर तो इस बात का है, कि तुम फिर भी मौन होके, स्तब्ध पड़े वही अपनी चादर में मुँह ढंक के पड़े रहोगे। दूसरों को संतुष्ट करते-२ कहीं अपने सपनों की ईंटें ना खो देना। आज नहीं तो कल बाघी होना ही पड़ेगा..अपने सपनों के लिए या (कहने को) अपनों के लिये...!!! पता है ऐसा क्यों..?? क्योंकि आज नहीं किया ऐसा, तो कल कोई तुम्हारी ही जिंदगी का कश बनाके छल्लों में उड़ा देगा। राख भी समेटते नहीं बनेगी यार...!!! इसलिए उस दिन आसमाँ शायद रोया होगा या फिर नदियों ने बहना छोड़ा होगा, या उस रात का सूर्य कभी उदय ना हुआ होगा। जरा पूछो तो आख़िर ये कैसे हुआ होगा....!!!