White हे ईश्वर धरा पर बसते हो
सतगुरु श्री के रूप में,
क्या फर्क पड़ता है,अब
छत्रछाया में रहने दीजिए, अथवा
रखिए स्वयं की प्रकाशित धूप में,
सामने होकर भी हृदय को
मिलने को तड़पाते हो
प्रेम की या तो वर्षा कीजिए
अन्यथा कहें,कि नहीं हमको
चाहते हो।
©Deepa Didi Prajapati
# ईश्वर _ मिलन