वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता, बात हो मन में अगर कोई आंखें रात भर पलके झपकती है।
टूटी फूटी नींद लिए सुबह-सुबह आंख उम्मीद की खुलती है।
दिन तो बीत जाता है बस काम में न जाने कब श्याम ढलती है।
किसे बताएं, किसे सुनाएं और किसे न जाने क्या समझाएं
शायद दुनिया और जिंदगी लगभग इसी पे चलती है।
दीवार से वो एक लटकि अजीवित घड़ी,
घड़ी-घड़ी समय बदलती है।
©MRunAL Lyrics of my soul
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