White पल्लव की डायरी
हदे सब पार कर
अंधाधुंध जहर बाँट रहे है
विकासवाद का ढोल पीटकर
दिन जीवन के घटा रहे है
बदल रहे है मौसम के तेवर
प्रदूषण से अंग अंग गले जा रहे है
छटपटाते अब दिन गुजर रहे है
रोगो के कितने वेरेंटियर रोज आ रहे है
सरकारों ने हाथ खड़े कर दिये
बस जुर्माने और चालान काटकर
वाह वाही विज्ञापनों से लूटे जा रहे है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#sunset_time रोगो के कितने वेरेंटियर आ रहे है
#nojotohindi