घूंट घूंट ही सही जिंदगी ही तो है,
ये दवा जो हमें
दी जा रही जिंदगी ही तो है!
है मौत पल पल में मगर,
अब तक इन पलों
को जिसने सही जिंदगी ही तो है!
है पसरा सन्नाटा इस ज़मीं से आसमां तक,
इस सन्नाटे में भी जिसने
सुनी या कही जिंदगी ही तो है!
रही रूह क़ैद में उम्र भर जिसके,
कुछ और नहीं
वो यही जिंदगी ही तो है!
क्यों मलाल करें हम क्यों जश्न मनाएं,
है हिसाब हर बात का जिसमें
वो खाता बही जिंदगी ही तो है!
©shrikant yadav
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