White नश्वर देह ....
चंचल मन ....
अजर आत्मा ...
अनंत आँखें ....
देखती हैं बस ....
बस एक रूप ....दृश्य लावण्य रूप
लुप्त चैतन्य ...
उन्मुक्त भाव ...
भागते हुए दूर अनन्यता से ...
भटकते हुए मोहजाल में ...
लिपटे हुए दृश्य-रंग से ....
रिक्त...रिक्त....कुछ भी लब्ध नहीं ....
लिप्सा बढ़ती हुई अमर बेल सी ...
लालसा चढ़ती हुई अमर कि कामना संग ...
ढूंढते हैं सत्य-रूप ...
क्या है यही जीवन सच ...
हर पल ...भ्रमित ओढ़ते हुए
कुछ नया वरण-आवरण ...
ये कैसी यात्रा ...
ये कैसा स्वरूप ...
है प्रभु ....दे मुझे बस ...
शून्य....शून्य....शून्य स्वरूप....
©सुरेश सारस्वत
#sad_shayari