मिटा दो सारे निशां के थे तुम
उठो तो ऐसे के कोई पत्ता हिले न जागे
लिबास का एक एक तागा उतारकर यूँ उठो
के आहट से छू न जाओ
अभी यही थे
अभी नही हो
खयाल रखना की जिंदगी की कोई भी सिलवट
न मौत के पाक साफ चेहरे के साथ जाए
©Kalpana yadav
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