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(एक लड़के की सच्ची कहानी) एक गांव में एक छोटा सा | हिंदी विचार

"(एक लड़के की सच्ची कहानी) एक गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था हालाकि वो छोटा है नहीं लेकिन भाई भाई के अलगाव की वजह से ये परिवार छोटा है और वो जो दूसरा परिवार है उसमे अभी भी दो भाइयों के एक साथ होने से वो बड़ा है।अब वो गांव में रहना छोड़ दिए है और अब वो सहर में रहते है। जिसमे अपने वो पांच लोग है उसके माता पिता, और वो दो भाई और एक बहन है। उनके गांव को छोड़ने के पीछे बहुत बड़ा राज है जो की आइए जानते है।     (भाई भाई में बटवारा) -हां,ये सबसे बड़ा वजह है आज के जमाने में एक परिवार को उथल पुथल करने के लिए ये काफी है।हालाकि कहा जाता है की किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता है लेकिन अगर एक भाई के साथ उसका भाई न हो तो उसकी कमी हमेसा खलती है। क्योकी जब आपस में दो भाइयों के बिच थोड़ी सी खटपट होती है तो पहले लोग सुलझाते, समझाते थे पर अब ऐसा बिल्कुल नही है, अब तीसरा मजा लेने को त्यार बैठा रहता है।वो बैठे बैठे ये देखता है की कब उनमें थोड़ा कुछ हो की मैं मज़ा करलूं और फिर भी ये बात सब जानते है लेकिन समझना कोई नहीं चाहता। (एक सही योग्य परिवार) - कि अगर बात की जाए तो इनका परिवार था जो की उस लड़के के पापा के भाईयो की जब तक सादी नही हुई थी। हां ये सही बात है, सुरु से ही उनका छोटा परिवार नही है क्युकी जब उन लोगों की सादी हुई और उनकी पत्नियां आई तो वो लोग उसके दादाजी के साथ गलत वेवहर करने लगे जिसकी वजह से उसके दादा और बड़ी ममियो में नफरत हो गया। हालाकि वो दोनो बहन है जिसकी वजह से सब से तो उनका बिगड़ गया लेकिन अपने में आज तक ठीक है।आप अनुमान लगा लीजिए की किसी का कैसा वेव्हार होगा की उसे अपने ही ससुराल से भागना पड़े। अगर वो सही होते तो क्या कोई सास ससूर ऐसा करता? आप बात सायद न माने जब उस लड़के के पिता की सादी हुई थी तो वही औरत अपने सास ससुर दोनो आदमी को मरते दम तक सेवा टहल अच्छे से की थी,लेकिन अपने बड़ी और मझली बहु के दुर्वेवहार की वजह से जब वो नई नई थी तो वो लोग अच्छे से उससे वेवहार भी नही करते थे वो लोग डरते थे की ये भी वैसे ही न कर दे।हालाकि वो ऐसा कुछ नहीं की। (भाई भाई के अलग होने का कारण) आजकल तो अधिकतर पैसे की वजह है या खेत की लेकिन उस समय भी -उस लड़के के दादाजी रेलवे ड्राइवर रिटायर्ड थे जिससे उन्हें पेंशन मिलता था।और इनके अलगाव की वजह भी पेंशन(पैसा)ही था।उनकी बहु तो दूसरे घर की थी पर बेटे तो अपने थे पर वो भी बदल गए थे इनको छोड़ कर वो अपने बीबियो के साथ उनके घर चले गए थे।जबकि वो जानते थे की उनके पिताजी खाने पीने में मस्त आदमी थे,और इतना ही नहीं उनकी पांच बेटियां भी थी जो की हमेशा एक या दो बेटी यहां आई हि रहती थी।और 1989 के रिटायर्ड थे तो उनकी पेंशन ही क्या और कोई भी बेटा कुछ भी कमाता तो उनको एक रुपए भी नहीं देता जिससे उन्हें ही अपने  पैसे से पूरा घर चलाना पड़ता था। तो आप सोच सकते है की आखिर अब उसमे बचता क्या होगा?इनके अलगाव की यही बात है और वो दो भाई एक साथ हो गए और उसका परिवार अकेला।वो तो याहां थे नही वो तो एक बार तभी आए जब वो लोग मर गए।और इसी बात का फायदा यहां भी कोई तीसरा ही उठा लिया और वो आज भी नहीं समझ पाए। (गांव छोड़ने की वजह) - बहुत दर्दनीय है। ऐसे तो आप जानते है की जब पहलीबार कोई आदमी नौकरी करने अपने और अपने परिवार के पालन पोषण की मजबूरी होने की वजह से भी(जब वो समझता है की गांव रहने से उसका कुछ नहीं हो सकता) अगर जाता है तो वो कितना दुखी होता है।तो वो तो ऐसी स्थिति में गया है जहा उसका जाने से कोई फायदा क्या कहे उसका कोई काम ही नहीं था।जिस समय पर वो गया है उस समय पर तो वो अपने देश की सेवा करने की सोच को रखते हुए तयारी कर रहा था जो की उसे कुछ उसी के रिस्तदारो के द्वारा उसके वफादारी का इनाम मिला था जो की वो लेके गांव में अब रुक जाता तो उसकी देश सेवा करने की उतनी मेहनत किसी जैल या किसी कोर्ट में खत्म हो जाती। अगर आपलोग सोचते होंगे की आखिर हुआ क्या अगर झगड़ा हुआ हो तो उनसे बाते न करता पर वहा रह जाता तो ये बिलकुल गलत है। क्यौकी उसका तो कभी तक किसी के साथ झगड़ा ही नही हुआ था बल्कि वो अपना घर बनवा रहा था। उस समय वो 16.5 साल का वो लड़का इतनी मुसीबत में था की ये बात भी उसके अलावा कोई नहीं जाना था। अगर आप मुसीबतें जानना चाहते है तो ये बात 2021की है। (मुसीबतें ऐसी थी) - की वो मार्च महीने में अपनी सुगर पेसेंड मां का बचदानी का ऑपरेशन करवाया था की तभी अप्रैल महीने में उसके पापा कोरोना पोसेटीव हो गए थे जिससे वो भी डर गए थे की क्या होगा क्युकी उनके पास रहने को एक अच्छा घर भी नही था। ऐसा नही है की जिसके दादाजी रेलवे ड्राइवर हो और उसके पास घर ना हो। दरअसल दादा दादी के डेथ के बाद से वो लोग आके रहने लगे थे और उस बच्चे की मां के साथ बहुत झगड़ा करते और साल 2018 जनवरी में उतरायण के दिन इतना भारी झगड़ा किए की उस लड़के का बड़ा भाई रोकर अपने पापा से बोला की आप आकर कुटिया भी घास फूस की कही दूसरी जगह लगाइए जिससे हम शांति से रह सके।उसके दादाजी के द्वारा बनाया हुआ पक्का पलस्तर 10 रूम की मकान है जो की जो उनके झगड़ो के बीच में तीसरे थे उन्होंने सब उसी को दिलवा दिया और उस बच्चे के पापा ऐसे सीधे आदमी है जो की वो सिर्फ अपनी कमाई पर भरोसा रखते है वोलोग तो बिना कुछ सोचे समझे तो दिलवा दिए और उपर से उसके पापा ने कभी अपने बड़े भाई की 2लड़कियों की सादी में कुछ देने को बोले थे जो की बटवारा हुआ उसी समय साठ हजार(60,000₹) दिलवा दिए। जबकि उनको बिलकुल नया घर बनाना था तो एक बार भी कोई नही सोचा की ये कहा से बनाएगा और कहा से उनको ₹ देगा। (कहा से न्यू खड़ा किए) - वो बैंक से 4 लाख रुपए लोन लिए थे जो की उसी में से 60,000 उन लोगो को भी दिए थे जिसकी वजह से कैसे भी रूम तो त्यार हो गए थे लेकिन उनका ढलाई नहीं हो पाया था।  जो वही सब अब कोरोना के बाद उसके पापा उसको पैसे देकर उससे करवा रहे थे मगर उसके पाटीदारो को ये देखा नहीं गया की इतना छोटा लड़का अकेले ये सब कैसे कर रहा है। (सबसे बड़ा दिक्कत पाटीदारों को) - यहि था की ये सब कैसे कर रहा है और जब वो लोग उससे झगड़ा करने लगे और उसकी जमीन को हथियाने लगे तो वो गांव में से आदमी बुला कर नापी करवाने लगा तो सब कोई यही कह देते थे की ये तो तेरी जमीन है पड़ोसियों से कह देते की इसी की जमीन है फिर भी उसके पाटीदार उसके अकेले होने का फायदा उठा लिए उसकी ढलाई तो हुई मगर छजा नही निकालने दिए।और उसी का खेत बिना कुछ दिए इसको बोते खाते थे अब वो जाकर अपना खेत भी जोत दिया जिससे वो और भी जायदा आग बबूला हो गये उस पर। (इतना सब करने पर वो क्या किए) -अब वो ये बात समझ गए थे की इसकी छवि गांव की नजर में अच्छी हो गई है।और वो उसे मरने की तो पूरी कोशिश करते मगर वो इतना दिमाग से काम लेरहा था की उनलोगो को मौका ही नही मिल परहा था और उसका काम होता जा रहा था।तो अंत में 22लोग मिल कर दिमाग लगाए और उसको चोर साबित करने लगे लेकिन वो अभी भी निहडर था क्युकी वो किसी का भी कोई भी चीज नही छुआ था। लेकिन वो इतना तो जनता था न की उसे फसाया जा रहा है तो आखिर वो क्या न करता अपनी तयारी में वो अपने तो हार ही नहीं माना उसे बाद में उसके पापा ने अपने पास बुला लिए पूरा परिवार समेत। (गांव छोड़ने का दर्द) -उसका तो ये दर्द बहुत बड़ा था जिस गांव से वो इतना सब सिखा हो उसे ऐसे कैसे वो छोड़ देता और वहा उसके उतने सारे दोस्तो को कैसे आसानी से छोड़ देता,लेकिन वो कुछ करने,और पाने की चाहत में इतना भारी और बड़े विश को पिया और गांव छोड़ा है। मगर वो अपने किसी भी दुश्मन को भुला नहीं है गांव तो छोड़ा मगर बहुत दुखी होकर।वो परिवार के निर्दैयो ने उसका दिल तोड़ दिए,उसके सपनो को भी तोड़ना चाहा लेकिन वो तो एक रीयल देश का हीरो बनना चाहता है जिससे उसे गांव से तो हटा दिए मगर उसके सपना पूरा करने से नही रोक सकते है। (ये कॉन है असल में? और ये किसके साथ हुआ है?)तो ये और कोई नहीं मैं खुद वो लड़का हूं।। मेरा नाम विवेक कुमार पाण्डेय. मैंने ये अपने बारे में सच्ची बात बताया हूं।।  ©pandey Vivek Kumar"

 (एक लड़के की सच्ची कहानी)


एक गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था हालाकि वो छोटा है नहीं लेकिन भाई भाई के अलगाव की वजह से ये परिवार छोटा है और वो जो दूसरा परिवार है उसमे अभी भी दो भाइयों के एक साथ होने से वो बड़ा है।अब वो गांव में रहना छोड़ दिए है और अब वो सहर में रहते है। जिसमे अपने वो पांच लोग है उसके माता पिता, और वो दो भाई और एक बहन है। उनके गांव को छोड़ने के पीछे बहुत बड़ा राज है जो की आइए जानते है।


    (भाई भाई में बटवारा) -हां,ये सबसे बड़ा वजह है आज के जमाने में एक परिवार को उथल पुथल करने के लिए ये काफी है।हालाकि कहा जाता है की किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता है लेकिन अगर एक भाई के साथ उसका भाई न हो तो उसकी कमी हमेसा खलती है। क्योकी जब आपस में दो भाइयों के बिच थोड़ी सी खटपट होती है तो पहले लोग सुलझाते, समझाते थे पर अब ऐसा बिल्कुल नही है, अब तीसरा मजा लेने को त्यार बैठा रहता है।वो बैठे बैठे ये देखता है की कब उनमें थोड़ा कुछ हो की मैं मज़ा करलूं और फिर भी ये बात सब जानते है लेकिन समझना कोई नहीं चाहता।


(एक सही योग्य परिवार) - कि अगर बात की जाए तो इनका परिवार था जो की उस लड़के के पापा के भाईयो की जब तक सादी नही हुई थी। हां ये सही बात है, सुरु से ही उनका छोटा परिवार नही है क्युकी जब उन लोगों की सादी हुई और उनकी पत्नियां आई तो वो लोग उसके दादाजी के साथ गलत वेवहर करने लगे जिसकी वजह से उसके दादा और बड़ी ममियो में नफरत हो गया। हालाकि वो दोनो बहन है जिसकी वजह से सब से तो उनका बिगड़ गया लेकिन अपने में आज तक ठीक है।आप अनुमान लगा लीजिए की किसी का कैसा वेव्हार होगा की उसे अपने ही ससुराल से भागना पड़े। अगर वो सही होते तो क्या कोई सास ससूर ऐसा करता? आप बात सायद न माने जब उस लड़के के पिता की सादी हुई थी तो वही औरत अपने सास ससुर दोनो आदमी को मरते दम तक सेवा टहल अच्छे से की थी,लेकिन अपने बड़ी और मझली बहु के दुर्वेवहार की वजह से जब वो नई नई थी तो वो लोग अच्छे से उससे वेवहार भी नही करते थे वो लोग डरते थे की ये भी वैसे ही न कर दे।हालाकि वो ऐसा कुछ नहीं की।


(भाई भाई के अलग होने का कारण) आजकल तो अधिकतर पैसे की वजह है या खेत की लेकिन उस समय भी -उस लड़के के दादाजी रेलवे ड्राइवर रिटायर्ड थे जिससे उन्हें पेंशन मिलता था।और इनके अलगाव की वजह भी पेंशन(पैसा)ही था।उनकी बहु तो दूसरे घर की थी पर बेटे तो अपने थे पर वो भी बदल गए थे इनको छोड़ कर वो अपने बीबियो के साथ उनके घर चले गए थे।जबकि वो जानते थे की उनके पिताजी खाने पीने में मस्त आदमी थे,और इतना ही नहीं उनकी पांच बेटियां भी थी जो की हमेशा एक या दो बेटी यहां आई हि रहती थी।और 1989 के रिटायर्ड थे तो उनकी पेंशन ही क्या और कोई भी बेटा कुछ भी कमाता तो उनको एक रुपए भी नहीं देता जिससे उन्हें ही अपने  पैसे से पूरा घर चलाना पड़ता था। तो आप सोच सकते है की आखिर अब उसमे बचता क्या होगा?इनके अलगाव की यही बात है और वो दो भाई एक साथ हो गए और उसका परिवार अकेला।वो तो याहां थे नही वो तो एक बार तभी आए जब वो लोग मर गए।और इसी बात का फायदा यहां भी कोई तीसरा ही उठा लिया और वो आज भी नहीं समझ पाए।


(गांव छोड़ने की वजह) - बहुत दर्दनीय है। ऐसे तो आप जानते है की जब पहलीबार कोई आदमी नौकरी करने अपने और अपने परिवार के पालन पोषण की मजबूरी होने की वजह से भी(जब वो समझता है की गांव रहने से उसका कुछ नहीं हो सकता) अगर जाता है तो वो कितना दुखी होता है।तो वो तो ऐसी स्थिति में गया है जहा उसका जाने से कोई फायदा क्या कहे उसका कोई काम ही नहीं था।जिस समय पर वो गया है उस समय पर तो वो अपने देश की सेवा करने की सोच को रखते हुए तयारी कर रहा था जो की उसे कुछ उसी के रिस्तदारो के द्वारा उसके वफादारी का इनाम मिला था जो की वो लेके गांव में अब रुक जाता तो उसकी देश सेवा करने की उतनी मेहनत किसी जैल या किसी कोर्ट में खत्म हो जाती। अगर आपलोग सोचते होंगे की आखिर हुआ क्या अगर झगड़ा हुआ हो तो उनसे बाते न करता पर वहा रह जाता तो ये बिलकुल गलत है। क्यौकी उसका तो कभी तक किसी के साथ झगड़ा ही नही हुआ था बल्कि वो अपना घर बनवा रहा था। उस समय वो 16.5 साल का वो लड़का इतनी मुसीबत में था की ये बात भी उसके अलावा कोई नहीं जाना था।

अगर आप मुसीबतें जानना चाहते है तो ये बात 2021की है।


(मुसीबतें ऐसी थी) - की वो मार्च महीने में अपनी सुगर पेसेंड मां का बचदानी का ऑपरेशन करवाया था की तभी अप्रैल महीने में उसके पापा कोरोना पोसेटीव हो गए थे जिससे वो भी डर गए थे की क्या होगा क्युकी उनके पास रहने को एक अच्छा घर भी नही था। ऐसा नही है की जिसके दादाजी रेलवे ड्राइवर हो और उसके पास घर ना हो। दरअसल दादा दादी के डेथ के बाद से वो लोग आके रहने लगे थे और उस बच्चे की मां के साथ बहुत झगड़ा करते और साल 2018 जनवरी में उतरायण के दिन इतना भारी झगड़ा किए की उस लड़के का बड़ा भाई रोकर अपने पापा से बोला की आप आकर कुटिया भी घास फूस की कही दूसरी जगह लगाइए जिससे हम शांति से रह सके।उसके दादाजी के द्वारा बनाया हुआ पक्का पलस्तर 10 रूम की मकान है जो की जो उनके झगड़ो के बीच में तीसरे थे उन्होंने सब उसी को दिलवा दिया और उस बच्चे के पापा ऐसे सीधे आदमी है जो की वो सिर्फ अपनी कमाई पर भरोसा रखते है वोलोग तो बिना कुछ सोचे समझे तो दिलवा दिए और उपर से उसके पापा ने कभी अपने बड़े भाई की 2लड़कियों की सादी में कुछ देने को बोले थे जो की बटवारा हुआ उसी समय साठ हजार(60,000₹) दिलवा दिए। जबकि उनको बिलकुल नया घर बनाना था तो एक बार भी कोई नही सोचा की ये कहा से बनाएगा और कहा से उनको ₹ देगा।


(कहा से न्यू खड़ा किए) - वो बैंक से 4 लाख रुपए लोन लिए थे जो की उसी में से 60,000 उन लोगो को भी दिए थे जिसकी वजह से कैसे भी रूम तो त्यार हो गए थे लेकिन उनका ढलाई नहीं हो पाया था।  जो वही सब अब कोरोना के बाद उसके पापा उसको पैसे देकर उससे करवा रहे थे मगर उसके पाटीदारो को ये देखा नहीं गया की इतना छोटा लड़का अकेले ये सब कैसे कर रहा है।


(सबसे बड़ा दिक्कत पाटीदारों को) - यहि था की ये सब कैसे कर रहा है और जब वो लोग उससे झगड़ा करने लगे और उसकी जमीन को हथियाने लगे तो वो गांव में से आदमी बुला कर नापी करवाने लगा तो सब कोई यही कह देते थे की ये तो तेरी जमीन है पड़ोसियों से कह देते की इसी की जमीन है फिर भी उसके पाटीदार उसके अकेले होने का फायदा उठा लिए उसकी ढलाई तो हुई मगर छजा नही निकालने दिए।और उसी का खेत बिना कुछ दिए इसको बोते खाते थे अब वो जाकर अपना खेत भी जोत दिया जिससे वो और भी जायदा आग बबूला हो गये उस पर।


(इतना सब करने पर वो क्या किए) -अब वो ये बात समझ गए थे की इसकी छवि गांव की नजर में अच्छी हो गई है।और वो उसे मरने की तो पूरी कोशिश करते मगर वो इतना दिमाग से काम लेरहा था की उनलोगो को मौका ही नही मिल परहा था और उसका काम होता जा रहा था।तो अंत में 22लोग मिल कर दिमाग लगाए और उसको चोर साबित करने लगे लेकिन वो अभी भी निहडर था क्युकी वो किसी का भी कोई भी चीज नही छुआ था। लेकिन वो इतना तो जनता था न की उसे फसाया जा रहा है तो आखिर वो क्या न करता अपनी तयारी में वो अपने तो हार ही नहीं माना उसे बाद में उसके पापा ने अपने पास बुला लिए पूरा परिवार समेत।


(गांव छोड़ने का दर्द) -उसका तो ये दर्द बहुत बड़ा था जिस गांव से वो इतना सब सिखा हो उसे ऐसे कैसे वो छोड़ देता और वहा उसके उतने सारे दोस्तो को कैसे आसानी से छोड़ देता,लेकिन वो कुछ करने,और पाने की चाहत में इतना भारी और बड़े विश को पिया और गांव छोड़ा है। मगर वो अपने किसी भी दुश्मन को भुला नहीं है गांव तो छोड़ा मगर बहुत दुखी होकर।वो परिवार के निर्दैयो ने उसका दिल तोड़ दिए,उसके सपनो को भी तोड़ना चाहा लेकिन वो तो एक रीयल देश का हीरो बनना चाहता है जिससे उसे गांव से तो हटा दिए मगर उसके सपना पूरा करने से नही रोक सकते है।


(ये कॉन है असल में? और ये किसके साथ हुआ है?)तो ये और कोई नहीं मैं खुद वो लड़का हूं।।



मेरा नाम विवेक कुमार पाण्डेय.

मैंने ये अपने बारे में सच्ची बात बताया हूं।।



©pandey Vivek Kumar

(एक लड़के की सच्ची कहानी) एक गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था हालाकि वो छोटा है नहीं लेकिन भाई भाई के अलगाव की वजह से ये परिवार छोटा है और वो जो दूसरा परिवार है उसमे अभी भी दो भाइयों के एक साथ होने से वो बड़ा है।अब वो गांव में रहना छोड़ दिए है और अब वो सहर में रहते है। जिसमे अपने वो पांच लोग है उसके माता पिता, और वो दो भाई और एक बहन है। उनके गांव को छोड़ने के पीछे बहुत बड़ा राज है जो की आइए जानते है।     (भाई भाई में बटवारा) -हां,ये सबसे बड़ा वजह है आज के जमाने में एक परिवार को उथल पुथल करने के लिए ये काफी है।हालाकि कहा जाता है की किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता है लेकिन अगर एक भाई के साथ उसका भाई न हो तो उसकी कमी हमेसा खलती है। क्योकी जब आपस में दो भाइयों के बिच थोड़ी सी खटपट होती है तो पहले लोग सुलझाते, समझाते थे पर अब ऐसा बिल्कुल नही है, अब तीसरा मजा लेने को त्यार बैठा रहता है।वो बैठे बैठे ये देखता है की कब उनमें थोड़ा कुछ हो की मैं मज़ा करलूं और फिर भी ये बात सब जानते है लेकिन समझना कोई नहीं चाहता। (एक सही योग्य परिवार) - कि अगर बात की जाए तो इनका परिवार था जो की उस लड़के के पापा के भाईयो की जब तक सादी नही हुई थी। हां ये सही बात है, सुरु से ही उनका छोटा परिवार नही है क्युकी जब उन लोगों की सादी हुई और उनकी पत्नियां आई तो वो लोग उसके दादाजी के साथ गलत वेवहर करने लगे जिसकी वजह से उसके दादा और बड़ी ममियो में नफरत हो गया। हालाकि वो दोनो बहन है जिसकी वजह से सब से तो उनका बिगड़ गया लेकिन अपने में आज तक ठीक है।आप अनुमान लगा लीजिए की किसी का कैसा वेव्हार होगा की उसे अपने ही ससुराल से भागना पड़े। अगर वो सही होते तो क्या कोई सास ससूर ऐसा करता? आप बात सायद न माने जब उस लड़के के पिता की सादी हुई थी तो वही औरत अपने सास ससुर दोनो आदमी को मरते दम तक सेवा टहल अच्छे से की थी,लेकिन अपने बड़ी और मझली बहु के दुर्वेवहार की वजह से जब वो नई नई थी तो वो लोग अच्छे से उससे वेवहार भी नही करते थे वो लोग डरते थे की ये भी वैसे ही न कर दे।हालाकि वो ऐसा कुछ नहीं की। (भाई भाई के अलग होने का कारण) आजकल तो अधिकतर पैसे की वजह है या खेत की लेकिन उस समय भी -उस लड़के के दादाजी रेलवे ड्राइवर रिटायर्ड थे जिससे उन्हें पेंशन मिलता था।और इनके अलगाव की वजह भी पेंशन(पैसा)ही था।उनकी बहु तो दूसरे घर की थी पर बेटे तो अपने थे पर वो भी बदल गए थे इनको छोड़ कर वो अपने बीबियो के साथ उनके घर चले गए थे।जबकि वो जानते थे की उनके पिताजी खाने पीने में मस्त आदमी थे,और इतना ही नहीं उनकी पांच बेटियां भी थी जो की हमेशा एक या दो बेटी यहां आई हि रहती थी।और 1989 के रिटायर्ड थे तो उनकी पेंशन ही क्या और कोई भी बेटा कुछ भी कमाता तो उनको एक रुपए भी नहीं देता जिससे उन्हें ही अपने  पैसे से पूरा घर चलाना पड़ता था। तो आप सोच सकते है की आखिर अब उसमे बचता क्या होगा?इनके अलगाव की यही बात है और वो दो भाई एक साथ हो गए और उसका परिवार अकेला।वो तो याहां थे नही वो तो एक बार तभी आए जब वो लोग मर गए।और इसी बात का फायदा यहां भी कोई तीसरा ही उठा लिया और वो आज भी नहीं समझ पाए। (गांव छोड़ने की वजह) - बहुत दर्दनीय है। ऐसे तो आप जानते है की जब पहलीबार कोई आदमी नौकरी करने अपने और अपने परिवार के पालन पोषण की मजबूरी होने की वजह से भी(जब वो समझता है की गांव रहने से उसका कुछ नहीं हो सकता) अगर जाता है तो वो कितना दुखी होता है।तो वो तो ऐसी स्थिति में गया है जहा उसका जाने से कोई फायदा क्या कहे उसका कोई काम ही नहीं था।जिस समय पर वो गया है उस समय पर तो वो अपने देश की सेवा करने की सोच को रखते हुए तयारी कर रहा था जो की उसे कुछ उसी के रिस्तदारो के द्वारा उसके वफादारी का इनाम मिला था जो की वो लेके गांव में अब रुक जाता तो उसकी देश सेवा करने की उतनी मेहनत किसी जैल या किसी कोर्ट में खत्म हो जाती। अगर आपलोग सोचते होंगे की आखिर हुआ क्या अगर झगड़ा हुआ हो तो उनसे बाते न करता पर वहा रह जाता तो ये बिलकुल गलत है। क्यौकी उसका तो कभी तक किसी के साथ झगड़ा ही नही हुआ था बल्कि वो अपना घर बनवा रहा था। उस समय वो 16.5 साल का वो लड़का इतनी मुसीबत में था की ये बात भी उसके अलावा कोई नहीं जाना था। अगर आप मुसीबतें जानना चाहते है तो ये बात 2021की है। (मुसीबतें ऐसी थी) - की वो मार्च महीने में अपनी सुगर पेसेंड मां का बचदानी का ऑपरेशन करवाया था की तभी अप्रैल महीने में उसके पापा कोरोना पोसेटीव हो गए थे जिससे वो भी डर गए थे की क्या होगा क्युकी उनके पास रहने को एक अच्छा घर भी नही था। ऐसा नही है की जिसके दादाजी रेलवे ड्राइवर हो और उसके पास घर ना हो। दरअसल दादा दादी के डेथ के बाद से वो लोग आके रहने लगे थे और उस बच्चे की मां के साथ बहुत झगड़ा करते और साल 2018 जनवरी में उतरायण के दिन इतना भारी झगड़ा किए की उस लड़के का बड़ा भाई रोकर अपने पापा से बोला की आप आकर कुटिया भी घास फूस की कही दूसरी जगह लगाइए जिससे हम शांति से रह सके।उसके दादाजी के द्वारा बनाया हुआ पक्का पलस्तर 10 रूम की मकान है जो की जो उनके झगड़ो के बीच में तीसरे थे उन्होंने सब उसी को दिलवा दिया और उस बच्चे के पापा ऐसे सीधे आदमी है जो की वो सिर्फ अपनी कमाई पर भरोसा रखते है वोलोग तो बिना कुछ सोचे समझे तो दिलवा दिए और उपर से उसके पापा ने कभी अपने बड़े भाई की 2लड़कियों की सादी में कुछ देने को बोले थे जो की बटवारा हुआ उसी समय साठ हजार(60,000₹) दिलवा दिए। जबकि उनको बिलकुल नया घर बनाना था तो एक बार भी कोई नही सोचा की ये कहा से बनाएगा और कहा से उनको ₹ देगा। (कहा से न्यू खड़ा किए) - वो बैंक से 4 लाख रुपए लोन लिए थे जो की उसी में से 60,000 उन लोगो को भी दिए थे जिसकी वजह से कैसे भी रूम तो त्यार हो गए थे लेकिन उनका ढलाई नहीं हो पाया था।  जो वही सब अब कोरोना के बाद उसके पापा उसको पैसे देकर उससे करवा रहे थे मगर उसके पाटीदारो को ये देखा नहीं गया की इतना छोटा लड़का अकेले ये सब कैसे कर रहा है। (सबसे बड़ा दिक्कत पाटीदारों को) - यहि था की ये सब कैसे कर रहा है और जब वो लोग उससे झगड़ा करने लगे और उसकी जमीन को हथियाने लगे तो वो गांव में से आदमी बुला कर नापी करवाने लगा तो सब कोई यही कह देते थे की ये तो तेरी जमीन है पड़ोसियों से कह देते की इसी की जमीन है फिर भी उसके पाटीदार उसके अकेले होने का फायदा उठा लिए उसकी ढलाई तो हुई मगर छजा नही निकालने दिए।और उसी का खेत बिना कुछ दिए इसको बोते खाते थे अब वो जाकर अपना खेत भी जोत दिया जिससे वो और भी जायदा आग बबूला हो गये उस पर। (इतना सब करने पर वो क्या किए) -अब वो ये बात समझ गए थे की इसकी छवि गांव की नजर में अच्छी हो गई है।और वो उसे मरने की तो पूरी कोशिश करते मगर वो इतना दिमाग से काम लेरहा था की उनलोगो को मौका ही नही मिल परहा था और उसका काम होता जा रहा था।तो अंत में 22लोग मिल कर दिमाग लगाए और उसको चोर साबित करने लगे लेकिन वो अभी भी निहडर था क्युकी वो किसी का भी कोई भी चीज नही छुआ था। लेकिन वो इतना तो जनता था न की उसे फसाया जा रहा है तो आखिर वो क्या न करता अपनी तयारी में वो अपने तो हार ही नहीं माना उसे बाद में उसके पापा ने अपने पास बुला लिए पूरा परिवार समेत। (गांव छोड़ने का दर्द) -उसका तो ये दर्द बहुत बड़ा था जिस गांव से वो इतना सब सिखा हो उसे ऐसे कैसे वो छोड़ देता और वहा उसके उतने सारे दोस्तो को कैसे आसानी से छोड़ देता,लेकिन वो कुछ करने,और पाने की चाहत में इतना भारी और बड़े विश को पिया और गांव छोड़ा है। मगर वो अपने किसी भी दुश्मन को भुला नहीं है गांव तो छोड़ा मगर बहुत दुखी होकर।वो परिवार के निर्दैयो ने उसका दिल तोड़ दिए,उसके सपनो को भी तोड़ना चाहा लेकिन वो तो एक रीयल देश का हीरो बनना चाहता है जिससे उसे गांव से तो हटा दिए मगर उसके सपना पूरा करने से नही रोक सकते है। (ये कॉन है असल में? और ये किसके साथ हुआ है?)तो ये और कोई नहीं मैं खुद वो लड़का हूं।। मेरा नाम विवेक कुमार पाण्डेय. मैंने ये अपने बारे में सच्ची बात बताया हूं।।  ©pandey Vivek Kumar

@सफलता की राहो में मुस्किलो के ब्रेकेरे है…

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रचना दिनांक 23 फरवरी 2025 वार रविवार समय सुबह पांच बजे ््शीर्षक ्् ्््गगन मंडल में बादलों से सजाया है , छिन्न भिन्न भिन्न रूप में रुप रुप में अनेक अनेकानेक अध्यात्मिक दर्शन अध्यात्म से ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी सी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश से समझो तो ््् साधू और शैतान ,,सिंह और पशु प्रेमी,, प्रेम और प्रेमिका,, मैं और प्रेमी का स्वरूप प्रेम में बने रहना ।। सकल जगत में एक नवीन प्रयोग है ,, जो भी व्यक्ति अपनी रूह में खोकर देखें तो यह सब कुछ है जो धरती पर जीवन से सब कुछ सीखता है।। यही नहीं ठहरता पल अनमोल समय हालात पर,, हर हाल से अपनी बात खुद बखूद सीख बनकर तैयार रहता है।। यह सीख दे रहे हैं जो जीना चाहते हैं।। और चाहत में एक कला संस्कृति साहित्य इतिहास में पहली किरण से अपनी दिशा लेकर आया है,, हर युवा जगत में एक स्वर पुकार नाद प्रेम और विश्वास प्यार आदर्श आचार विचार व्यक्तित्व में निखार ही जिंदगी में फरवरी माह का वैलेंटाइन डे मनाना का सही तरीका नीति नियत परिधि संदेश है।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 23। फ़रवरी 2025 औौ ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक 23  फरवरी 2025
वार  रविवार
समय सुबह पांच बजे
््शीर्षक ््
्््गगन मंडल में बादलों से सजाया है ,
छिन्न भिन्न भिन्न रूप में रुप रुप में
 अनेक अनेकानेक अध्यात्मिक दर्शन अध्यात्म से
 ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी सी मुस्कान 
मन्द अधर पर ले उड़े होश से समझो तो ्््
साधू और शैतान ,,सिंह और पशु प्रेमी,, प्रेम और प्रेमिका,, 
मैं और प्रेमी का स्वरूप प्रेम में बने रहना ।।
सकल जगत में एक नवीन प्रयोग है ,,
जो भी व्यक्ति अपनी रूह में खोकर देखें तो यह सब कुछ है 
जो धरती पर जीवन से सब कुछ सीखता है।।
यही नहीं ठहरता पल अनमोल समय हालात पर,,
हर हाल से अपनी बात खुद बखूद सीख बनकर तैयार रहता है।।
यह सीख दे रहे हैं जो जीना चाहते हैं।।
 और चाहत में एक कला संस्कृति साहित्य इतिहास में 
पहली किरण से अपनी दिशा लेकर आया है,,
हर युवा जगत में एक स्वर पुकार नाद 
प्रेम और विश्वास प्यार आदर्श आचार विचार व्यक्तित्व में
 निखार ही जिंदगी में फरवरी माह का वैलेंटाइन डे 
मनाना का सही तरीका नीति नियत परिधि संदेश है।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
23। फ़रवरी 2025

औौ

©Shailendra Anand

मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स कवि शैलेंद्र आनंद

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White मैंने सोचा सुबह सुबह भगवान जी को... याद करती हूं और अफसोस से तातपर्य गाना गा रही थी कि देख तेरे संसार की हालत क्या ..हो गई भगवान उन्होने कहां चुप कर..... ..जकार अपना काम करो what's this behavior.... ©neelu

#Thinking #wishes  White मैंने सोचा सुबह सुबह भगवान जी को...
 याद करती हूं 
और अफसोस से तातपर्य गाना गा रही थी
 कि देख तेरे संसार की हालत
 क्या ..हो गई भगवान 
उन्होने कहां चुप कर.....
..जकार अपना काम करो
what's this behavior....

©neelu

#Thinking

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White संघर्ष के आसमान में एक उम्मीद होती है जिसे हम सफलता के रूप में देखते है ©Raghu Ke Quotes

#कोट्स #Sad_Status  White संघर्ष के आसमान में एक उम्मीद होती है
जिसे हम सफलता के रूप में देखते है

©Raghu Ke Quotes

#Sad_Status सफल बनिये

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White कैसे हो सभी लोग........... ©लेखक 01Chauhan1

#विचार #Thinking  White कैसे हो सभी लोग...........

©लेखक       01Chauhan1

#Thinking

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White कर्म क्या है अकरम क्या है इसे निश्चित करने में बुद्धि व्यक्ति भी मोहग्रस्त हो जाते हैं आते हो मैं तुम्हें बताऊंगा कि कर्म क्या है जिसे जाकर तुम सारे अशुभ से मुक्त हो सकोगे श्री कृष्ण कहते हैं 🙏🏼🙏🏼 ©Ek villain

#Motivational #love_shayari  White कर्म क्या है अकरम क्या है इसे निश्चित करने में बुद्धि व्यक्ति भी मोहग्रस्त हो जाते हैं आते हो मैं तुम्हें बताऊंगा कि कर्म क्या है जिसे जाकर तुम सारे अशुभ से मुक्त हो सकोगे श्री कृष्ण कहते हैं 🙏🏼🙏🏼

©Ek villain

#love_shayari motivational thoughts on success

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