सब नश्वर है इस जीवन में , इक पीड़ा ही अविनाशी है।
जब खुशियों ने नाता तोड़ा , आशाओं ने मुख को मोड़ा।
जब हम बिल्कुल एकाकी हैं , तब आंसू ने साथ न छोड़ा।।
है विश्वास नहीं खुशियों का , बस आंसू ही विश्वासी है।
इक पीड़ा ही अविनाशी है
©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
बस पीड़ा ही अविनाशी है ....