a-person-standing-on-a-beach-at-sunset उलझन सी होन | English Shayari

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset उलझन सी होने लगती थी मुझ को अक्सर और वो यूँ मेरा मिज़ाज-ए-इश्क़ था शहरी उस की वफ़ा दहक़ानी थी अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी ©RJ VAIRAGYA"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset उलझन सी होने लगती थी मुझ को अक्सर और वो यूँ
मेरा मिज़ाज-ए-इश्क़ था शहरी उस की वफ़ा दहक़ानी थी

अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो
वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी

©RJ VAIRAGYA

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset उलझन सी होने लगती थी मुझ को अक्सर और वो यूँ मेरा मिज़ाज-ए-इश्क़ था शहरी उस की वफ़ा दहक़ानी थी अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी ©RJ VAIRAGYA

#rjharshsharma #rjvairagyasharma
❤️उलझन सी होने लगती थी मुझ को अक्सर और वो यूँमेरा मिज़ाज-ए-इश्क़ था शहरी उस की वफ़ा दहक़ानी थी
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो
वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी❤️

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