White भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे
प्राण के पार लेकिन तुम्हें देखते
"साथ" के युद्ध में मन पराजित हुआ
याद की अब कोई राजधानी नहीं
प्रेम तो जन्म से ही प्रेणय हीन है
बात लेकिन कभी हमनें मानी नहीं
हर नए युग तुम्हारी प्रतीक्षा रहेगी
हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते
भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे
प्राण के पार लेकिन तुम्हें देखते..!
©Romil Shrivastava
भाग्य रेखा