मंदिर की मां को सबने पूजा, घर के भगवान न पूजे जाएं | हिंदी Poetry

"मंदिर की मां को सबने पूजा, घर के भगवान न पूजे जाएं, मन में ईर्ष्या, छल कपट भरा, और तन गंगा में कूदे जाएं, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! घर में मां ने रहकर भूखे, तुम सबको दिया निवाला है, उनको क्या मालूम था ऐसा, कि मन बच्चों का काला है, एक भी आंसु उनके निकले, फिर तुमको ईश्वर नहीं मिलेंगे, पुण्य क्षीण हो जाएंगे सब, खुशहाली के फूल नहीं खिलेंगे, कुछ ऐसा भी कर दो इंसानों, मां बाप के चेहरे खिल जाए, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! खुशहाली के मौकों पर, कितना उत्पात मचाओगे, जिन मां बाप को धिक्कारा, फिर उनके चरणों में आओगे, सब कुछ न्योछावर कर डाला, कितना हिसाब दे पाओगे, अब तुम तुले हुए हो कि, ईश्वर तुम पर उपकार करे, और एक पैर पर खड़े रहे कि, जो मन में हो वो मिल जाए, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! ©अनुज"

 मंदिर की मां को सबने पूजा,
घर के भगवान न पूजे जाएं,
मन में ईर्ष्या, छल कपट भरा,
और तन गंगा में कूदे जाएं,
              मंदिर की मां को सबने पूजा!!
              घर के भगवान न पूजे जाएं!!
घर में मां ने रहकर भूखे,
तुम सबको दिया निवाला है,
उनको क्या मालूम था ऐसा,
कि मन बच्चों का काला है,
एक भी आंसु उनके निकले,
फिर तुमको ईश्वर नहीं मिलेंगे,
पुण्य क्षीण हो जाएंगे सब,
खुशहाली के फूल नहीं खिलेंगे,
कुछ ऐसा भी कर दो इंसानों,
मां बाप के चेहरे खिल जाए,
             मंदिर की मां को सबने पूजा!!
              घर के भगवान न पूजे जाएं!!
खुशहाली के मौकों पर,
कितना उत्पात मचाओगे,
जिन मां बाप को धिक्कारा,
फिर उनके चरणों में आओगे,
सब कुछ न्योछावर कर डाला,
कितना हिसाब दे पाओगे,
अब तुम तुले हुए हो कि,
ईश्वर तुम पर उपकार करे,
और एक पैर पर खड़े रहे कि,
जो मन में हो वो मिल जाए,
              मंदिर की मां को सबने पूजा!!
              घर के भगवान न पूजे जाएं!!

©अनुज

मंदिर की मां को सबने पूजा, घर के भगवान न पूजे जाएं, मन में ईर्ष्या, छल कपट भरा, और तन गंगा में कूदे जाएं, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! घर में मां ने रहकर भूखे, तुम सबको दिया निवाला है, उनको क्या मालूम था ऐसा, कि मन बच्चों का काला है, एक भी आंसु उनके निकले, फिर तुमको ईश्वर नहीं मिलेंगे, पुण्य क्षीण हो जाएंगे सब, खुशहाली के फूल नहीं खिलेंगे, कुछ ऐसा भी कर दो इंसानों, मां बाप के चेहरे खिल जाए, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! खुशहाली के मौकों पर, कितना उत्पात मचाओगे, जिन मां बाप को धिक्कारा, फिर उनके चरणों में आओगे, सब कुछ न्योछावर कर डाला, कितना हिसाब दे पाओगे, अब तुम तुले हुए हो कि, ईश्वर तुम पर उपकार करे, और एक पैर पर खड़े रहे कि, जो मन में हो वो मिल जाए, मंदिर की मां को सबने पूजा!! घर के भगवान न पूजे जाएं!! ©अनुज

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