White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद रा | हिंदी शायरी

"White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी। मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे, हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी। हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही, अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी। ©नवनीत ठाकुर"

 White 
अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी।

मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे,
हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी।

हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही,
अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी।

©नवनीत ठाकुर

White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी। मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे, हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी। हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही, अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर

अंधेरों में उजाले का खिलना,
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी।

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