"आशाओं के समंदर से लबालब हैं दोनों आंखें ll
सूरज, चाँद, सितारों से जगमग हैं दोनों आंखें ll
खुशी में भी रोना, गम में भी रोना,
ऐसी अजब-गजब हैं दोनों आंखें ll
वो जिन्हें खामोशियाँ पसंद हैं,
उनके लिए लब हैं दोनों आंखें ll
दोनों जहाँ का बस इतना मतलब है,
दोनों जहाँ का मतलब हैं दोनों आंखें ll
जरा सी आहट पर खुल जाती हैं,
अंधेरे में भी सजग हैं दोनों आंखें l
©Shivangi Priyaraj