माता गौरी विनती सुन लो ,विपदा जग की हर लेना।
ना है जिसका कोई ठिकाना,माँ तू उसको घर देना।।
जननी जग की तू हे अम्बे,बच्चे ही हम सब तेरे हैं।
विचलित हम हैं अपने पथ से,राहों में घने अँधेरे हैं।।
©Bharat Bhushan pathak
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