White वाह! ये क़िस्मत क्या कमाल की बला है, किसी को | हिंदी Poetry

"White वाह! ये क़िस्मत क्या कमाल की बला है, किसी को ठोकरें किसी का भला है..! कहते हैं बनती किस्मत परिश्रम के फल से पर, छल फ़रेब की दुनिया में धोखेबाज़ों का सिक्का चला है..! शरीफों की नहीं यहाँ किसी को ज़रूरत, किरदार की माँग अनुसार जो भी जग में ढला है..! अच्छे रहो सच्चे यूँ बन के चाहे जितना, दिखावे की दुनिया ये बनावटी सब कला है..! अपनेपन का एहसास यूँ करा के सभी ने, ग़ैरों से ज्यादा अपनों ने हमको छला है..! ©SHIVA KANT(Shayar)"

 White  वाह! ये क़िस्मत क्या कमाल की बला है,
किसी को ठोकरें किसी का भला है..!

कहते हैं बनती किस्मत परिश्रम के फल से पर,
छल फ़रेब की दुनिया में धोखेबाज़ों का सिक्का चला है..!

शरीफों की नहीं यहाँ किसी को ज़रूरत,
किरदार की माँग अनुसार जो भी जग में ढला है..!

अच्छे रहो सच्चे यूँ बन के चाहे जितना,
दिखावे की दुनिया ये बनावटी सब कला है..!

अपनेपन का एहसास यूँ करा के सभी ने,
ग़ैरों से ज्यादा अपनों ने हमको छला है..!

©SHIVA KANT(Shayar)

White वाह! ये क़िस्मत क्या कमाल की बला है, किसी को ठोकरें किसी का भला है..! कहते हैं बनती किस्मत परिश्रम के फल से पर, छल फ़रेब की दुनिया में धोखेबाज़ों का सिक्का चला है..! शरीफों की नहीं यहाँ किसी को ज़रूरत, किरदार की माँग अनुसार जो भी जग में ढला है..! अच्छे रहो सच्चे यूँ बन के चाहे जितना, दिखावे की दुनिया ये बनावटी सब कला है..! अपनेपन का एहसास यूँ करा के सभी ने, ग़ैरों से ज्यादा अपनों ने हमको छला है..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Sad_Status #qismat

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