छल - कपट की गंदगी को, त्याग सुंदर मन बना लो। झूठ | हिंदी Bhakti

"छल - कपट की गंदगी को, त्याग सुंदर मन बना लो। झूठ का रथ छोड़ कर अब, सत्य को साधन बना लो। फिर जला दो एक दीपक देह की उर - कोठरी में, साफ कर लो इस दिवाली, मन को ही आँगन बना लो। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित) आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को जीवन के प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ! माता महालक्ष्मी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे। ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'"

 छल - कपट की  गंदगी को, त्याग सुंदर  मन बना लो।
झूठ का रथ  छोड़ कर अब, सत्य को  साधन  बना लो।
फिर  जला  दो  एक दीपक  देह  की  उर - कोठरी  में,
साफ कर लो इस दिवाली, मन को ही आँगन बना लो।
अरुण शुक्ल अर्जुन
प्रयागराज
(पूर्णतः मौलिक  एवं स्वरचित)





आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को
जीवन के प्रकाश पर्व दीपावली की
हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ!
माता महालक्ष्मी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे।

©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

छल - कपट की गंदगी को, त्याग सुंदर मन बना लो। झूठ का रथ छोड़ कर अब, सत्य को साधन बना लो। फिर जला दो एक दीपक देह की उर - कोठरी में, साफ कर लो इस दिवाली, मन को ही आँगन बना लो। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित) आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को जीवन के प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ! माता महालक्ष्मी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे। ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

#Diwali

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