मुझे उसकी ही गुड़िया से खेलना था
मुझे उसकी ही किताबों को पढ़ना था
उसके जूते, उसकी बालियां, उसके कपडे
ही पहन कर, कहीं भी निकलना था
न मना किया, न कभी जिद पर अड़ी
न रास्ते मे रोका, न कभी मुझसे लड़ी
बस एक दिन सज सवर के रोते हुए
मुझे अकेला छोड़, पिया के घर चल पड़ी
अब किससे लड़ूँ ,
किससे शिकायतें करूँ
ये चाहिए, वो चाहिए,
भला अब किससे कहूँ
©Ruchi Mishra
#sister