White 2122 2122 2122
गर खता है तो हमें उसकी सजा दो
चाहती क्या ज़िन्दगी मुझसे बता दो
रस्मे उल्फत ये सताती ही रही है
हो सके जो तुमसे तो तुम ही निभा दो
राह में तेरी बिछी है यूँ निगाहें
राहें अपनी मेरे राहों से मिला दो
जाने क्यों हमसे रूठे मेरे सनम है
हुई क्या हमसे खता इतना बता दो
वस्ल की चाहत लिये आये तेरे दर
सजदे में कब तक रहूँ अब तो उठा दो
वक़्त की यारी यहाँ हर कोई करता
तुम निभा बेवक्त की यारी दिखा दो
खो गयी है नींदे मेरी इश्क में यूँ
साय ज़ुल्फो में कभी अपने सुला दो
( लक्ष्मण दावानी )
साय - छाया
15/12/2016
©laxman dawani
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