मेरे इश्क़ की सज़ा ही कुछ और था। दिल टूटने का मज़ | हिंदी शायरी

"मेरे इश्क़ की सज़ा ही कुछ और था। दिल टूटने का मज़ा ही कुछ और था। पहली बार इश्क़ का नतीजा आखिरी, मुझे रुलाने की रज़ा ही कुछ और था। रात जुगुनूओं के साये में गुजरता रहा, रातें हसीन थीं फ़जा ही कुछ और था। ---राजेश कुमार गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) दिनांक:-22/12/2024 ©Rajesh Kumar"

 मेरे इश्क़ की  सज़ा ही कुछ और था।
दिल टूटने का मज़ा ही कुछ और था।

 पहली बार इश्क़ का नतीजा आखिरी,
मुझे रुलाने की रज़ा ही कुछ और था।

रात जुगुनूओं के साये में गुजरता रहा,
 रातें हसीन थीं फ़जा ही कुछ और था।

---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-22/12/2024

©Rajesh Kumar

मेरे इश्क़ की सज़ा ही कुछ और था। दिल टूटने का मज़ा ही कुछ और था। पहली बार इश्क़ का नतीजा आखिरी, मुझे रुलाने की रज़ा ही कुछ और था। रात जुगुनूओं के साये में गुजरता रहा, रातें हसीन थीं फ़जा ही कुछ और था। ---राजेश कुमार गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) दिनांक:-22/12/2024 ©Rajesh Kumar

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