खामोशी ने डाले डेरे "
ग्रहण लगा है चांद को मेरे, ख़ामोशी ने डाले डेरे,
दूर-दूर तक नहीं रोशनी, पसरी है जैसे अंधेरे गहरे।
सुर्ख़ होंठ पर पड़ी कालिमा ,मुस्कानों के पड़े हैं टोटे ,
भंवरों का जीना मुश्किल है, सांझ सवेरे फिरते रोते।
©Anuj Ray
# ख़ामोशी ने डाले डेरे "