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ख़ुद की मंज़िल, ख़ुद बनाओ,
राहों में चाहे अंधेरा हो, दीप जलाओ।
दुनिया की सुनना ठीक है,
पर दिल की बात न भूलना सदा।
रुकावटें हैं, तो क्या हुआ?
चलते रहना, यह सफर नया हुआ।
मुश्किलों से न डरो कभी,
सपनों को तुम साकार करो सभी।
हर ठोकर एक सबक सिखाएगी,
हर हार तुम्हें मजबूत बनाएगी।
जब लगे कि राहें मुश्किल हैं,
बस अपनी हिम्मत का दीप जलाए रखना।
मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन,
बस अपने पथ से कभी न हटना।
कर्म से अपनी कहानी लिखना,
ख़ुद की मंज़िल, ख़ुद ही बनाना।
©Ajita Bansal
#engineers_day This poem encourages one to create their own path and not give up despite the challenges they face.