ज़िन्दगी बनी बनाई नही मिलती सबकों कर्म की कलम से बन

"ज़िन्दगी बनी बनाई नही मिलती सबकों कर्म की कलम से बनानी पड़ती है मेरे चेहरे को हँसी यू ही नही मिलती गुड़िया की हंसती तस्वीरे दिखानी पड़ती है।"

 ज़िन्दगी बनी बनाई नही मिलती
सबकों कर्म की कलम से बनानी पड़ती है
मेरे चेहरे को हँसी यू ही नही मिलती
गुड़िया की हंसती तस्वीरे दिखानी पड़ती है।

ज़िन्दगी बनी बनाई नही मिलती सबकों कर्म की कलम से बनानी पड़ती है मेरे चेहरे को हँसी यू ही नही मिलती गुड़िया की हंसती तस्वीरे दिखानी पड़ती है।

#World_Poetry_Day

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