आपकी महफ़िल में बैठा नूर पा लूँ,
आपकी राहों में अपनी राह बना लूँ।
दिल की वीरानी को बख़्शें चाँद जैसे,
चुप्पियों के सुर में इक नग़मा सजा लूँ।
आपकी आँखों में जो गहराइयाँ हैं,
उसमें डूबूँ और ख़ुद को पा लूँ।
मेरे सपनों का जहाँ आपसे रौशन,
आपकी सूरत को हर तस्वीर बना लूँ।
दर्द के हर एक लम्हे को भुलाकर,
आपके पहलू में बस कर चैन पा लूँ।
जो अधूरी थी ग़ज़ल मेरी सदियों से,
आपके नाम से उसे पूरा बना लूँ।
✍️ सुरजकुमारी गोस्वामी हैदराबाद
©surajkumaregoswami