White तमाशों का शौक अब हमें नही है साहेब, हमने खुद | हिंदी Shayari

"White तमाशों का शौक अब हमें नही है साहेब, हमने खुद को बेचकर महफ़िलें कभी सजाई थी। चले थे सबकी दुनिया गुलज़ार करने कभी, कभी अपनी ख़ुशियों की कीमत लगाई थी। हर चेहरे पर मुस्कान लाने का जुनून था, खुद की तन्हाई में हर खुशी मिटाई थी। वो दौर था जब दर्द अपना भूले हम, बस दूसरों की राहों में रोशनी दिखाई थी। ©Krishna"

 White तमाशों का शौक अब हमें नही है साहेब,
हमने खुद को बेचकर महफ़िलें कभी सजाई थी।
चले थे सबकी दुनिया गुलज़ार करने कभी,
कभी अपनी ख़ुशियों की कीमत लगाई थी।

हर चेहरे पर मुस्कान लाने का जुनून था,
खुद की तन्हाई में हर खुशी मिटाई थी।
वो दौर था जब दर्द अपना भूले हम,
बस दूसरों की राहों में रोशनी दिखाई थी।

©Krishna

White तमाशों का शौक अब हमें नही है साहेब, हमने खुद को बेचकर महफ़िलें कभी सजाई थी। चले थे सबकी दुनिया गुलज़ार करने कभी, कभी अपनी ख़ुशियों की कीमत लगाई थी। हर चेहरे पर मुस्कान लाने का जुनून था, खुद की तन्हाई में हर खुशी मिटाई थी। वो दौर था जब दर्द अपना भूले हम, बस दूसरों की राहों में रोशनी दिखाई थी। ©Krishna

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