रिश्तों की धूप छांव से
इंसान हर पल बदलता है,
कभी ख़ुशी-ख़ुशी साथ चलता है
कभी चलते-चलते पीछे हटता है,
एक हाथ में खंजर लेकर
दूसरे हाथ में फूल रखता है,
मौसम से भी तेज बदलता है
अकेला इंसान ही तो
रिश्तों में रिश्ते बदलता है..!
-जुनेदपुरिया क़लम से...
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