रिश्तों की धूप छांव से इंसान हर पल बदलता है, कभी ख | हिंदी Shayari

"रिश्तों की धूप छांव से इंसान हर पल बदलता है, कभी ख़ुशी-ख़ुशी साथ चलता है कभी चलते-चलते पीछे हटता है, एक हाथ में खंजर लेकर दूसरे हाथ में फूल रखता है, मौसम से भी तेज बदलता है अकेला इंसान ही तो रिश्तों में रिश्ते बदलता है..! -जुनेदपुरिया क़लम से..."

 रिश्तों की धूप छांव से
इंसान हर पल बदलता है,
कभी ख़ुशी-ख़ुशी साथ चलता है
कभी चलते-चलते पीछे हटता है,
एक हाथ में खंजर लेकर
दूसरे हाथ में फूल रखता  है,
मौसम से भी तेज बदलता है
अकेला इंसान ही तो
रिश्तों में रिश्ते बदलता है..!

-जुनेदपुरिया क़लम से...

रिश्तों की धूप छांव से इंसान हर पल बदलता है, कभी ख़ुशी-ख़ुशी साथ चलता है कभी चलते-चलते पीछे हटता है, एक हाथ में खंजर लेकर दूसरे हाथ में फूल रखता है, मौसम से भी तेज बदलता है अकेला इंसान ही तो रिश्तों में रिश्ते बदलता है..! -जुनेदपुरिया क़लम से...

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