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बो भुला अब ढूढने पर भी नहीं मिलता ,
हर्ष तमाशे भरी जिंदगी है तू जनता है
फिर भी , रंगमहफिल में ढोंगियों सा तमाशा क्यों नहीं करता , उलझने ऐसी चढ़ी हुई है सर मेरे , ढूंढने पर भी मै , बो पुराना मै नहीं मिलता
©RJ VAIRAGYA
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