जैसे ज़ख्मों पे कोई मरहम हो, गुनगुनी धूप सी तेरी या | हिंदी कविता

"जैसे ज़ख्मों पे कोई मरहम हो, गुनगुनी धूप सी तेरी यादें !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava"

 जैसे ज़ख्मों पे कोई मरहम हो,
गुनगुनी धूप सी तेरी यादें !!





✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava

जैसे ज़ख्मों पे कोई मरहम हो, गुनगुनी धूप सी तेरी यादें !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava

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