वृद्ध को पीड़ा न भाए , प्रेमी को है वियोग सताए , घ | हिंदी Poetry

"वृद्ध को पीड़ा न भाए , प्रेमी को है वियोग सताए , घर की गृहणी कहत सभी से इस घर की खिटपट ना सुनी जाए, कर्मचारी को मालिक के आदेश ना भाए, बच्चा मां बाप की बातों से तंग हुई जाए, इस पीड़त से यह दर्द अब और न सहा जाए, कहत सब अंततः एक ही वाणी ए मौत आ गले लग जाएं ए मौत आ गले लग जाएं।। ©Anurag Thakur"

 वृद्ध को पीड़ा न भाए ,
प्रेमी को है वियोग सताए ,
घर की गृहणी कहत सभी से
इस घर की खिटपट ना सुनी जाए,
कर्मचारी को मालिक के आदेश ना भाए,
बच्चा मां बाप की बातों से तंग हुई जाए,
इस पीड़त से यह दर्द अब और न सहा जाए,
कहत सब अंततः एक ही वाणी
ए मौत आ गले लग जाएं
ए मौत आ गले लग जाएं।।

©Anurag Thakur

वृद्ध को पीड़ा न भाए , प्रेमी को है वियोग सताए , घर की गृहणी कहत सभी से इस घर की खिटपट ना सुनी जाए, कर्मचारी को मालिक के आदेश ना भाए, बच्चा मां बाप की बातों से तंग हुई जाए, इस पीड़त से यह दर्द अब और न सहा जाए, कहत सब अंततः एक ही वाणी ए मौत आ गले लग जाएं ए मौत आ गले लग जाएं।। ©Anurag Thakur

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