हर किसी का अपना सोचने का तरीका हैं... हर किसी को आगे बढ़ने के लिए संसाधन और खुला आसमान चाहिए, न कि फालतू का ज्ञान... मेरी बातों से असहमत होना स्वाभाविक हैं... पर, हो क्या ? ये भी सुझाव दे.....
वैसे मैं बता दू की ये प्रसिद्ध लेखिका क्षमा शर्मा जी के लेख को आधार बनाकर कहा हूं।