Unsplash लो बीत गया एक और साल जिंदगी का,
दिलो की ख्वाहिशों का कभी हिसाब न हुआ।
यूं ही आहिस्ता से ढलने लगी है जिंदगी की शाम,
उन्हें तो इस बात की खबर तक न होगी।
उन्हें तो बस मौसम का बदलना समझ आता है,
जिंदगी बदल रही है इसका एहसास तक नहीं उन्हें।
(चाहत)
©Chahat Kushwah
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