सृजन के बीज हैं हम यूँ, निर्बीज हो नहीं सकते। अख | हिंदी कविता Video

" सृजन के बीज हैं हम यूँ, निर्बीज हो नहीं सकते। अखंडित अंश सरीखे हैं यूँ, खंडित हो नहीं सकते समंदर हैं सम्भावनाओं का यूँ दरिया हो नहीं सकते।। सौरभ धर बड़गैंयां ©shiv putra "

सृजन के बीज हैं हम यूँ, निर्बीज हो नहीं सकते। अखंडित अंश सरीखे हैं यूँ, खंडित हो नहीं सकते समंदर हैं सम्भावनाओं का यूँ दरिया हो नहीं सकते।। सौरभ धर बड़गैंयां ©shiv putra

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