Dear Dad ""नर की गाथा"""
दुःख में उसकी भी आँख से आंसू बहता,,
वो भी बराबर अपने हिस्से सारे गम सहता।
एक पिता सा प्रेम दरिया सदा मन मे रहता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
करता वो भी खुशहाली के जतन सारे,,
फिर चाहे एकजुट हो या रहे सब न्यारे,,
दिन-रात वो इसी जद्दोजहद में रहता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
बेटा-बेटी दोनों है एक समान उसके प्यारे,,
मौका मिले वो करता दोनों के वारे-न्यारे।
यह बात वो जीवन भर जेहन में रखता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
माँ नौ महीने संतान को पेट मे पालती,,
पिता को जीवन भर जिम्मेदारी सालती।
इसमें कोई कोर कसर कभी नही छोडता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
वो खुद चिलचिलाती धूप में तपकर भी
हमारे लिए ख्वाब सुनहरी छाँव रखता,,
धूप में तपकर भी कदम कभी नही थकता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
एक बेटा,भाई, पति पिता के धर्म निभाता,,
इस पर एहसान कभी भी नही वो जताता।
इस एक शरीर में बहुत किरदार वो जीता,,
तो फिर क्यों नही कोई, नर की गाथा कहता।
✍️ jugal kisओर
©Jugal Kisओर
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