बन ठन मुझको और ज़रा सा प्यारा दिखना है।
शर्त नहीं औरों की अपनी ख़ातिर सजना है।
परवाह नहीं इस दुनियां को मैं कैसी लगती हूं?
मोटी, पतली, गोरी या फिर काली दिखती हूं।
मत तौलो सुंदरता मेरी झूठे अफसानों से।
क्या नाप सकोगे गरूता मेरी छोटे पैमानों से?
इन सब मापदंड को मैंने ठोकर मारा है।
आत्मविश्वास से मैंने अपना रूप संवारा है।
मुझे पता है मैं हूं सुंदर मन की सुंदरता से।
अपनी काबिलियत से अपनी कार्यकुशलता से।
जो चाहूॅं श्रृंगार करूं मैं ख़ुद पर इतराऊं मैं।
मैं उपमा सुंदरता की अपने पर बलि जाऊं मैं।
पहन के काली साड़ी कुछ यूं सुंदर दिखना है।
बहुत हुआ मुस्काना अब दिल खोल के हंसना है।
©Jupiter and its moon
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