ये जो हाल-ए-दिल है, क्या बयाँ करूँ
दिख रहा है बेहाल है, क्या बयाँ करूँ
ज़मीन नाप दी सारी ज़ुस्तज़ु में तेरी
अब तो कोशिश है कि नज़रों में आसमां करूँ
यहाँ कदम कदम पे साया है अंधेरों का
कहाँ कहाँ पर मैं रोशन शमा करूँ
किसी को शोहरत किसी को कामयाबी चाहिए
मेरी आरज़ू ये है कि दिल में कैद ये जहाँ करूँ
-रणदीप चौधरी 'भरतपुरिया'
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