मुझे जलन है, कानों में लटके तुम्हारे उन झुमकों स | हिंदी Shayari

"मुझे जलन है, कानों में लटके तुम्हारे उन झुमकों से जो बेवजह छूते रहते हैं गालों को तुम्हारे उस गहरे काजल से जो छुपी रहती हैं पलकों में तुम्हारे उन चूड़ियों और अंगूठियों से जो लिपटी रहती हैं हाथों में तुम्हारे । तुम्हारे पैरों की पायल से जो हर कदम साथ चलती है तुम्हारे। तुम्हारी उस गले की माला से, जो सीने से लगी रहती है तुम्हारे । तुम्हारी उस बिंदिया से , जो चूमती रहती है माथे को तुम्हारे। मुझे जलन है, क्योंकि ये मुझसे ज्यादा करीब है तुम्हारे। _सुधांशु_ ©Sudhanshu Bahrod"

 मुझे जलन है,

 कानों में लटके तुम्हारे उन झुमकों से
 जो बेवजह छूते रहते हैं गालों को तुम्हारे   
 उस गहरे काजल से
 जो छुपी रहती हैं पलकों में तुम्हारे 
 उन चूड़ियों और अंगूठियों से 
 जो लिपटी रहती हैं हाथों में तुम्हारे ।
 तुम्हारे पैरों की पायल से 
 जो हर कदम साथ चलती है तुम्हारे।
 तुम्हारी उस गले की माला से,
 जो सीने से लगी रहती है तुम्हारे ।
 तुम्हारी उस बिंदिया से , 
 जो चूमती रहती है माथे को  तुम्हारे।
 मुझे जलन है,
क्योंकि ये मुझसे ज्यादा करीब है तुम्हारे।


_सुधांशु_

©Sudhanshu Bahrod

मुझे जलन है, कानों में लटके तुम्हारे उन झुमकों से जो बेवजह छूते रहते हैं गालों को तुम्हारे उस गहरे काजल से जो छुपी रहती हैं पलकों में तुम्हारे उन चूड़ियों और अंगूठियों से जो लिपटी रहती हैं हाथों में तुम्हारे । तुम्हारे पैरों की पायल से जो हर कदम साथ चलती है तुम्हारे। तुम्हारी उस गले की माला से, जो सीने से लगी रहती है तुम्हारे । तुम्हारी उस बिंदिया से , जो चूमती रहती है माथे को तुम्हारे। मुझे जलन है, क्योंकि ये मुझसे ज्यादा करीब है तुम्हारे। _सुधांशु_ ©Sudhanshu Bahrod

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