,,, मैं देख रही थी दस्तावेजों के ढेरों को ,,, तब | हिंदी Wishes

",,, मैं देख रही थी दस्तावेजों के ढेरों को ,,, तब जाकर समझ आया की कितनी जिम्मेदारियां होती है सरकारी पैगंबरों को ,,, हर योजना का ब्योरा रखना पड़ता है ,, सबको संभालना पड़ता है ,, और सही गलत का जवाब देना पड़ता है ,,, लोग तो कह देते हैं कि यूं ही बैठे हैं कुर्सियों पर ,, हमें पता है कि किस हद तक गुजरना पड़ता है।। ©@Gudiya*****"

 ,,, मैं देख रही थी दस्तावेजों के ढेरों को 

,,, तब जाकर समझ आया की कितनी जिम्मेदारियां होती है सरकारी पैगंबरों को 

,,, हर योजना का ब्योरा रखना पड़ता है 

,, सबको संभालना पड़ता है 

,, और सही गलत का जवाब देना पड़ता है 

,,, लोग तो कह देते हैं कि यूं ही बैठे हैं कुर्सियों पर 

,, हमें पता है कि किस हद तक गुजरना पड़ता है।।

©@Gudiya*****

,,, मैं देख रही थी दस्तावेजों के ढेरों को ,,, तब जाकर समझ आया की कितनी जिम्मेदारियां होती है सरकारी पैगंबरों को ,,, हर योजना का ब्योरा रखना पड़ता है ,, सबको संभालना पड़ता है ,, और सही गलत का जवाब देना पड़ता है ,,, लोग तो कह देते हैं कि यूं ही बैठे हैं कुर्सियों पर ,, हमें पता है कि किस हद तक गुजरना पड़ता है।। ©@Gudiya*****

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