-------आपकी मुश्कान-------
जँहा शब्द मौन हो जाये..
दिल में शौर हो जाये..
कल्पनाएं स्थिर हो जाये..
मन अस्थिर हो जाये..
नदियों का बहना रुक जाये..
सागर में उफान आ जाये..
पतझड़ में हरियाली छा जाये..
रेगिस्तान में बारिश आ जाये..
प्यासे को पानी मिल जाये..
मुँह में निवाला रुक जाये..
अमावस में पूनम हो जाये..
बृह्माण्ड में अंधकार खो जाये..
उजियारो का पहरा हो जाये..
हमारा सुकून बस आपकी मुश्कान खिल जाये..!
©Rajendra Jakhad