White उसने कहा जुदा होने का मंज़र आ गया है।
तबसे मेरी आंखों में बस समंदर आ गया है।
इश्क़ की राहों में इश्क़ की वो बहारें खो गईं!
अब हर लम्हा मेरे दिल पे पत्थर आ गया है।
जिनके इंतज़ार में थे बरसों से खड़े रात दिन!
अब कह रहा सफ़र मे कोई और आ गया है।
मोहब्बत की बातें अब किताबों में ही रह गईं!
हक़ीक़त में बस ज़ख़्मों का असर आ गया है।
हमने ख़्वाब सजाए थे जिन आँखों में कभी!
अब उनमें भी वीरानियों का असर आ गया है।
वो खुबसूरत बस्ती अब वीरान सी लगती है!
दिल मे अब एक अजीब सा बंजर आ गया है।
तन्हाई में अक्सर उसकी यादें घिर आती हैं!
अब तो हर लम्हे में एक ज़ख्म गहर आ गया है।
रात भर तलाश करता हूँ मैं सुकून की बारिश!
लेकिन अब तो हर तरफ बस अंधेर आ गया है।
©महज़
#sad_quotes sad urdu poetry