ये दुआ ह आतिश ए इश्क़ में मेरी तरह तू जला करे
ना नसीब हो तुझे बैठना तेरे दिल मे दर्द उठा करे
लटे हो खुली चश्म गर कहि नाला लब पे हुजूज करके
मेरी तलाश में दर बदर तू पकड़ के दिल को फिरा करे
तेरे सामने मेरा घर जले ना बुझा सके तू ना बस जले
तेरे मुह से निकले यही दुआ के ना घर किसी का जला करे
लॉट आये खेर से फिर वो दिन के ना आये चैन तुझे जख्म बिन
ना लगाए तुझको गले से हम तू हजार मिन्नते किया करे
©Amjad Nigar
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