ना जाने क्यूँ आज फिर ख़ुद से मिलने का मन किया.. चा | हिंदी विचार

"ना जाने क्यूँ आज फिर ख़ुद से मिलने का मन किया.. चार दीवारों को तोड़ उन सब से निकलने का मन किया.... क्योंकि यह चार दीवारें ही उस आभामय प्रकाश की संज्ञा थी, इसलिए,,,, अंधेरे से सुकून इतना मिला की फ़िर उसी सुकून की तरफ़ बढ़ने का मन किया। #Kaid ek awaz... ©Nishu Maurya.....(Arjnii)"

 ना जाने क्यूँ आज फिर ख़ुद से मिलने का मन किया..
चार दीवारों को तोड़ उन सब से निकलने का मन किया.... 
क्योंकि यह चार दीवारें ही  उस आभामय प्रकाश की संज्ञा थी, 
इसलिए,,,, 
अंधेरे से सुकून इतना मिला की फ़िर उसी सुकून की तरफ़ बढ़ने का मन किया। 

#Kaid ek awaz...

©Nishu Maurya.....(Arjnii)

ना जाने क्यूँ आज फिर ख़ुद से मिलने का मन किया.. चार दीवारों को तोड़ उन सब से निकलने का मन किया.... क्योंकि यह चार दीवारें ही उस आभामय प्रकाश की संज्ञा थी, इसलिए,,,, अंधेरे से सुकून इतना मिला की फ़िर उसी सुकून की तरफ़ बढ़ने का मन किया। #Kaid ek awaz... ©Nishu Maurya.....(Arjnii)

#kaidEkAwaz
#Nazane

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