White मुक्तक एक पल में कली कोई खिलती नहीं। | हिंदी शायरी

"White मुक्तक एक पल में कली कोई खिलती नहीं। आसानी से प्रशंसा यूँ मिलती नहीं। हौसलों की है मन में चट्टानें मेरे। निन्दा के झटकों से मैं तो हिलती नहीं। ©Er.आयुषी गुप्ता ©ayushigupta"

 White  
   मुक्तक 
 एक पल में कली कोई खिलती नहीं। 
  आसानी से प्रशंसा यूँ मिलती नहीं। 

    हौसलों की है मन में चट्टानें मेरे। 
    निन्दा के झटकों से मैं तो हिलती नहीं। 
©Er.आयुषी गुप्ता

©ayushigupta

White मुक्तक एक पल में कली कोई खिलती नहीं। आसानी से प्रशंसा यूँ मिलती नहीं। हौसलों की है मन में चट्टानें मेरे। निन्दा के झटकों से मैं तो हिलती नहीं। ©Er.आयुषी गुप्ता ©ayushigupta

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