White कहो कि हर पल ये उलझन क्यूं है। बड़ी हुई सी त | हिंदी शायरी

"White कहो कि हर पल ये उलझन क्यूं है। बड़ी हुई सी तुम्हारी धड़कन क्यूं है। हर लब्ज तुम्हारा सही है कहते हो शब्दों के आखिर में कंपन क्यूं हैं। बड़े साफ दिल का दावा है दुनिया से फिर हर किसी से तुम्हें अड़चन क्यूं है। कोई बात है कि भीतर दम घुट रहा गंदगी नही अंदर तो मन बनबन क्यूं है। बुरे किरदार को हिकारत से न देखो खुद को भी देखों भीतर दर्पण क्यूं है। ©Shravan Solanki"

 White कहो कि हर पल ये उलझन क्यूं है।
बड़ी हुई सी तुम्हारी धड़कन क्यूं है। 

हर लब्ज तुम्हारा सही है कहते हो 
शब्दों के आखिर में कंपन क्यूं हैं। 

बड़े साफ दिल का दावा है दुनिया से
फिर हर किसी से तुम्हें अड़चन क्यूं है। 

कोई बात है कि भीतर दम घुट रहा
गंदगी नही अंदर तो मन बनबन क्यूं है। 

बुरे किरदार को हिकारत से न देखो 
खुद को भी देखों भीतर दर्पण क्यूं है।

©Shravan Solanki

White कहो कि हर पल ये उलझन क्यूं है। बड़ी हुई सी तुम्हारी धड़कन क्यूं है। हर लब्ज तुम्हारा सही है कहते हो शब्दों के आखिर में कंपन क्यूं हैं। बड़े साफ दिल का दावा है दुनिया से फिर हर किसी से तुम्हें अड़चन क्यूं है। कोई बात है कि भीतर दम घुट रहा गंदगी नही अंदर तो मन बनबन क्यूं है। बुरे किरदार को हिकारत से न देखो खुद को भी देखों भीतर दर्पण क्यूं है। ©Shravan Solanki

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