नूर भरपूर हो रहा है, बस
और तमस दूर हो रहा है, बस
इश्क़ मजबूर कर रहा है और
हुस्न मजबूर हो रहा है, बस
जान-ए-जाना तेरी जुदाई में
ज़ख़्म नासूर हो रहा है, बस
बे-वफाओं का एक कुनबा है
जो कि मशहूर हो रहा है, बस
लड़की चन्दन हुई,महकने लगी
लड़का सिंदूर हो रहा है, बस
©Ghumnam Gautam
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