वक़्त का हर लम्हा संभालकर रखना, जो गुज़र गया, उसे | हिंदी शायरी

"वक़्त का हर लम्हा संभालकर रखना, जो गुज़र गया, उसे यादों में बसा कर रखना। ख़ैर, वो कल नहीं रहेगा, जाहिद,हर लम्हा जी के रखना।। हर पल को जियो कुछ इस तरह, कि फिर लौटकर वो कभी न तरसे। वक़्त की साज़िश को समझ लो यारों, ये वो मेहमां है जो कभी ना ठहरे।। इन लम्हों का साया संभाल, ये गुज़रे तो बन जाएं किस्सा कमाल। ©नवनीत ठाकुर"

 वक़्त का हर लम्हा संभालकर रखना,
जो गुज़र गया, उसे यादों में बसा कर रखना।
ख़ैर, वो कल नहीं रहेगा,
जाहिद,हर लम्हा जी के रखना।।

हर पल को जियो कुछ इस तरह,
कि फिर लौटकर वो कभी न तरसे।
वक़्त की साज़िश को समझ लो यारों,
ये वो मेहमां है जो कभी ना ठहरे।।

 इन लम्हों का साया संभाल,
ये गुज़रे तो बन जाएं किस्सा कमाल।

©नवनीत ठाकुर

वक़्त का हर लम्हा संभालकर रखना, जो गुज़र गया, उसे यादों में बसा कर रखना। ख़ैर, वो कल नहीं रहेगा, जाहिद,हर लम्हा जी के रखना।। हर पल को जियो कुछ इस तरह, कि फिर लौटकर वो कभी न तरसे। वक़्त की साज़िश को समझ लो यारों, ये वो मेहमां है जो कभी ना ठहरे।। इन लम्हों का साया संभाल, ये गुज़रे तो बन जाएं किस्सा कमाल। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
जाहिद, इन लम्हों का साया संभाल,
ये गुज़रे तो बन जाएं किस्सा कमाल।

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