ये उन दिनों की बात है, जब इश्क सरे-आम बयां नहीं होता था
जब ख्वाबो में cell phone का पेहरा नहीं हो ता था
जब मां का प्यार गहरे से गहरा जख्म भर देता था
और जब दुश्मन भी
dipression ka मुखोटा ओढ़े नहीं होता था ......
ये उन दिनों की बात है, जब मोहोब्बत साबित करने के लिए
जिस्मों का सौदा नहीं होता था
inkygirl