White कोई कहे कि मैं क्या हूं? नभ से टूटा तारा हूं | हिंदी Life

"White कोई कहे कि मैं क्या हूं? नभ से टूटा तारा हूं या बादल से गिरी कोई बूंद हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? किसी पेड़ से गिरी कोई शाख हूं या किसी रेगिस्तान से उड़ी रेत हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? टूटे हुए दर्पण का कोई टुकड़ा हूं या किसी भीड़ का हिस्सा हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? बगिया में खिलता फूल हूं या रास्ते में पड़ा शूल हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? दोपहर की जलती धूप हूं या सुकून की शाम हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? अस्तित्व ढूंढती मैं खुद का लिखता कौन मेरी कहानी है ? नाम है मगर भूली हूं खुद को बेनाम सी पूछती हूं सबसे ©Divya Shrotriya"

 White कोई कहे कि मैं क्या हूं?
नभ से टूटा तारा हूं या बादल से गिरी कोई बूंद हूं।
कोई कहे कि मैं क्या हूं?
किसी पेड़ से गिरी कोई शाख हूं या किसी रेगिस्तान से उड़ी रेत हूं।
कोई कहे कि मैं क्या हूं?
टूटे हुए दर्पण का कोई टुकड़ा हूं या किसी भीड़ का हिस्सा हूं।
कोई कहे कि मैं क्या हूं?
बगिया में खिलता फूल हूं या रास्ते में पड़ा शूल हूं।
कोई कहे कि मैं क्या हूं?
दोपहर की जलती धूप हूं या सुकून की शाम हूं।
कोई कहे कि मैं क्या हूं?
अस्तित्व ढूंढती मैं खुद का लिखता कौन मेरी कहानी है ?
नाम है मगर भूली हूं खुद को बेनाम सी पूछती हूं सबसे

©Divya Shrotriya

White कोई कहे कि मैं क्या हूं? नभ से टूटा तारा हूं या बादल से गिरी कोई बूंद हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? किसी पेड़ से गिरी कोई शाख हूं या किसी रेगिस्तान से उड़ी रेत हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? टूटे हुए दर्पण का कोई टुकड़ा हूं या किसी भीड़ का हिस्सा हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? बगिया में खिलता फूल हूं या रास्ते में पड़ा शूल हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? दोपहर की जलती धूप हूं या सुकून की शाम हूं। कोई कहे कि मैं क्या हूं? अस्तित्व ढूंढती मैं खुद का लिखता कौन मेरी कहानी है ? नाम है मगर भूली हूं खुद को बेनाम सी पूछती हूं सबसे ©Divya Shrotriya

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