डोर बस विश्वास की थी हम दोनों के बीच बंधी, कभी मै | हिंदी कविता Video

"डोर बस विश्वास की थी हम दोनों के बीच बंधी, कभी मैंने खींची कभी तूने और कसक बनी रही इस प्रीत की। ©Shivani Sharma "

डोर बस विश्वास की थी हम दोनों के बीच बंधी, कभी मैंने खींची कभी तूने और कसक बनी रही इस प्रीत की। ©Shivani Sharma

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